रोज़ रोज़ ये घड़ियाँ...ठहर जातीं हैं....
उन पलों के इंतज़ार में...जब मिलते थे...हम तुम..
वक़्त काटे नहीं कटता मेरा..उन लम्हों की याद में...
अज़ीब सी बैचैनी...बढ़ती जाती है...
मैं.. ध्यान लगाने की कोशिश करती हूँ....
इधर-उधर के कामों में... होती हूँ असफ़ल..
कभी जी चाहता है...छिपा दूं...इन घड़ियों को कही...
कहीं अलमारियों की.. दराज़ों में....
न देख पाऊँ इनको...जहां से मैं...
न शोर पड़े टिक-टिक का कानो में...
निग़ाहें बार-बार..चोरी-छिपे...उठ जाती है..
जताती हूँ लापरवाही..जैसे..न कोई फ़िक्र है..न परवाह..
और समय...सरकने लगता है...
निग़ाहें...गाहे-बगाहे...उठ ही जाती है...
बैचैनी मेरी...बदहवासी में..ढल जाती है...
बिन बात का गुस्सा.. झुंझलाहट.. हावी होती जाती है...
दिलासा देती हूँ... मैं ख़ुद को...
तुम व्यस्त होगे... पर भूल नहीं सकते मुझे...
ये तसल्ली भी... बहला नहीं पाती..मन को...
आँखें...छलक-छलक जाने को...आतुर...
और मैं.. छुपाए हूँ.. सीने में.. सौ तूफ़ानों को...
बीत जातें हैं...वो लम्हें ऐसे ही...
घड़ियाँ...फ़िर से दौड़ने...लगतीं हैं...
मैं..व्यस्त हो जातीं हूँ.. फ़िर उन्ही पलों की प्रतीक्षा में..
तुम्हारे इंतज़ार में... ये पल रोज़ ठहरते हैं...
पर ये चिर-प्रतीक्षित इंतज़ार... अब खत्म नहीं होता...
घड़ियाँ... रोज़ उन पलों में... रुकतीं हैं..
उनके बीतते ही... दौड़तीं हैं...
तुम्हारे इंतज़ार में... तुम्हरी प्रतीक्षा में...
हर रोज़... कई रोज़ से...
......................................................'तरुणा'...!!!
8 comments:
hmmmm yes ri8 aisa he hota h........ very nice
Bahut Shukriya ... Akanksha akki ji ...:)))
kya baat hai di bahut khubsurat rachana itani achhi tarah se ohhh realy i am Indebted di
Soo many thanksss ... Shiv Kumar ji ... :)))
bahut hi sundar rachana , shubhkaamnnayen taruna ji
Shekhar jii ... bahut Shukriya ..:))
vaah
vivek mishra
Bahut Shukriya ... Vivek Ji... :))
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