खिड़की पे बैठ...चाय की चुस्कियों के साथ...
बाहर बारिश को देखती रही....
नाचती...गाती...मस्ती में डूबी....बूँदें...
हर इक ज़र्रे को....भिगोती बूँदें...
गुलमोहर के पेड़ से...नारंगी फूलों को गिराती बूँदें....
हरे भरे पौधों को...गहरा हरा...करती बूँदें...
कब उतरती गई उनमें मैं भी....नहीं जानती मैं.....
उनके मादक...मनमोहक...नृत्य में...गई डूबती मैं...
साथ उनके.... मैं व्यापक होती गई....बढ़ती गई...
फूल झरतें गए मुझ पर...और मैं सुन्दर होती गई...
बिज़ली ने चौकाया मुझको...थी मैं...वहीँ खिड़की पर...
महसूस की हर बूंद मैंने....वहीँ पर बैठ कर....
जीवन भी है.... ऐसे ही अनूठी बारिश....
सुख और दुःख की....हसीन साज़िश...
साक्षी बन देखो...तो सीमा नहीं...सुन्दरता की...
खुद चलो इसमें तो..हद नहीं बदसूरती की...
कहीं कीचड़...कहीं हैं... जल भराव....
ऊपर से भीगों तो....अनोखा सुख पाओ....
दृष्टा बन जाओ तो...हर चीज़ हो जातीं है सहज...
बन जाता है जीवन..इक चलचित्र महज...
पाओ इस सहजता को...सुन्दरता को भी....
और मुक्त हो जाओ...चिन्ताओं से इसे..भोगो भी...
................................................................'तरुणा'.....!!!
Khidki pe baith....chaay ki chuskiyon ke saath....
Baahar baarish ko dekhti rahi.....
Nachti...gaati...masti me doobi...boonde...
Har ik Zarre ko...bhigoti boonde...
Gulmohar ke ped se...naarangi phoolon ko giraati boonde....
Hare bhare paudhon ko....gehra hara...karti...boonde...
Kab utarti gayi unme main bhi...nahin jaanti main....
Unke maadak...manmohak...nritya me...gayi doobti main...
Saath unke...main vyaapak hoti gayi...badhti gayi....
Phool jhartey gaye mujh par....aur main sundar hoti gayi....
Bizli ne chaukaaya mujhko...thi main vahin khidki par....
Mehsoos ki har booond maine....vahin par baith kar...
Jeevan bhi hai.... aisee hi anoothi baarish....
Sukh aur dukh ki... haseen saazish....
Saakshi ban dekho...to seema nahi...sundarta ki....
Khud chalo isme to ...had nahin badsoorti ki...
Kahin keechad hai....kahin jal bharaav....
Upar se bheegon to...anokha sukh paao...
Drishta ban jao to ...har cheez ho jaati hai sahaj...
Ban jaata hai jeevan....ik chalchitra mahaj....
Pao is sahajta ko....sundarta ko bhi...
aur mukt ho jao...chintaon se...isey bhogo bhi....
............................................................................'Taruna'...!!!